
बिन बुलाए ये मेहमान शादियों में उडा लेते थे लाखों का माल
बैंड बाजा बारात गिरोह के पांच बदमाश व दो नाबालिगों से सुलझी आठ वारदात
सुनील वर्मा
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच एसटीएफ दस्ते ने बैंड बाजा बारात गैंग के 5 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार कर शादियों में चोरी के 8 मामलों का खुलासा किया है। उनका सहयोग करने वाले दो नाबालिग किशोरों को भी गिरफ्तार किया गया है। पकडे गए आरोप शादी के समारोह में सज संवरकर बिन बुलाए मेहमान बनकर शादी के शगुन, आभूषण व नकदी के साथ वहां से कीमती बैग उडा लेते थे। इस गैंग ने दिल्ली, एमपी, यूपी, पंजाब, चंडीगढ़ समेत कई राज्यों में बड़ी-बड़ी शादियों में लाखों की चोरियों को अंजाम दिया था। यह गैंग मध्य प्रदेश के राजगढ़ से ताल्लुबक रखता है।
क्राइम ब्रांच के अडिशनल सीपी शिवेश कुमार सिंह के मुताबिक
दिल्ली में शादी समारोह में लगातार हो रही चोरी की वारदातों के बाद जब ये साफ हो
गया कि दिल्ली और एनसीआर में कोई ऐसा गिरोह सक्रिय है जो संगठित रूप से ऐसी
वारदातों को अंजाम देता है तब क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्मै सिंह ने एसटीएफ के
एसीपी पंकज सिंह को गिरोह के पकडने के टास्क
पर लगाया।
इंसपेक्टर दिग्विजय सिंह की टीम के एसआई राजीव बामल, अशोक कुमार, विजय कुमार, एएसआई वीरसिंह, विजय कुमार, कुलदीप सिंह, हैड कांस्टेमबल दीप चंद, कांस्टे बल पायर सिंह, सोनुआन व अंकित की टीम तैयार की। इस टीम ने उन शादियों की वीडियों और सीसीटीवी खंगालने शुरू किए जिनमें चोरियों हुई थी। करीब सौ से ज्यादा शादियों के वीडियों व सीसीटीवी चेक किए गए।
टीम ने विश्लेषण किया कि जो संदिग्ध उभर रहे थे वे दूसरे बैंक्वेट हॉल, फार्महाउस में भी गए थे। इसलिए पुलिस टीम ने शादी का सीजन शुरू होते जहां शादी समारोह आयोजित किए जाते हैं वहां मुखबिरों का जाल बिछाया। कडी मशक्कश के बाद पुलिस ने तीन संदिग्धों की पहचान कर ली ।
पुलिस टीम को चोरी की वारदात वाली शादी के वीडियो फुटेज से
पता चला था कि चोरी करने वाले गिरोह के लोग शादी वाले स्थानों पर काफी समय बिताते
थे जिससे वह मेहमानों के साथ घुल मिल जाएं। वे कभी भी हड़बड़ी नहीं दिखाते थे। वे
रात के खाने के समय का इंतजार कर उचित समय पर वारदात को अंजाम देते थे।
मौका लगते ही शादी के शगुन, ज्वैलरी और कैश
वाले तथा गिफ्ट बैग चुराकर चंपत हो जाते थे। पुलिस टीम ने संदिग्धन आरोपियों पर
नजर रखना शुरू कर दिया, जो स्पष्ट रूप से इसी तरह के तौर-तरीकों के साथ वारदात को अंजाम देते थे।
पुलिस टीम को ये भी जानकारी मिली कि फार्म हाउसों और बैंक्वेट हॉलों में चोरी करने
वाले गिरोह विशेष रूप से मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में तीन गांवों गुलखरी, सुलखरी और कड़िया
से संचालित होते हैं। इन तीनों गांवो के अधिकांश लोग इसी तरह के अपराधों में
पारंगत है।
तमाम सूचना एकत्र होंने के बाद पुलिस ने 2 नवंबर को छापा
मारकर 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ दो नाबालिग भी गिरफ्तार किए गए।
गिरफ्तारी के बाद वे एक वारदात को अंजाम देकर वापस अपने गांव जा रहे थे।
पकडे गए आरोपियों में संदीप ने 5 वीं तक पढ़ाई की है। उसके
दो भाई और दो बहनें हैं। वह शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं। वह गिरोह का सरगना
है और 2010 से इस तरह के अपराध कर रहा है।
वह कई मामलों में भगौडा घोषित हो चुका है। दूसरा आरोपी किशन किशन (22) कादिया गांव का रहने वाला है। वह अनपढ है और उसकी एक
बहन भी इसी तरह के अपराध करती है। तीसरा आरोपी संत कुमार (32) भी गुलखेड़ी के का
रहने वाला है अपने तीन बेटों को भी वह इस धंधे के लिए इस्तेमाल करता है।
चौथा आरोपी बिशाल (20) व पांचवा हंसराज (21) भी गुलखेड़ी के
रहने वाले है।
पूछताछ के दौरान
आरोपियों ने खुलासा किया कि वे छोटे से गाँव म.प्र में राजगढ़ जिले के छोटे
से गांव गुलखेड़ी से है। कुछ ऐसे संगइित गिरोह जो शादी समारोह में चोरी की
वारदातों को अंजाम देते है वे शादी के सीज़न के दौरान दिल्ली और एनसीआर और उत्तर
भारत के अन्य मेट्रो शहरों में इस काम के लिए अपने गिरोह के लोगों को भेजते है। जो शादी समारोहों के दौरान विवाह स्थलों पर चोरी
करते हैं। उन्होंने खुलासा किया कि ऐसे गिरोह उनके गांव के 9 से 15 साल की उम्र के
बच्चोंो को उनके गरीब माता-पिता से एक साल के लिए पट्टे पर लेते हैं । बदले में
माता पिता को एक बच्चेक के लिए 10 से 12 लाख रूपए मिलते है। ये रकम गिरोह द्वारा
दो या अधिक किस्तों में चुकाई जाती है। दिल्ली में लाए जाने के बाद बच्चों को एक महीने के प्रशिक्षण से गुजरना
पड़ता है कि शादियों में चोरी कैसे की जाती है और लोगों के साथ कैसे घुलना मिलना
हैं। हर बच्चे की मानसिक व शारीरिक ट्रेनिंग देने के बाद ऐसे गुर सिखाए जाते है
जिससे वे पुलिस की पकड में आने से बच सके। वारदात को अंजाम देने से पहले गिरोह के
लोग समारोह में भाग लेने के लिए सुंदर कपड़े पहनते है। गिरोह में नौजवानों के साथ महिलाए व बच्चे भी
शामिल होते हैं, जो आमतौर पर किराए के घरों में रहते हैं। कई बार गिरोह के लोग बच्चोंस को ही
फंक्शन में भेजते है और खुद थ्री-व्हीलर और मोटर साइकिलों पर बाहर इंतजार करते
हैं। महिलाएं अपने बच्चों की तरह उनकी देखभाल करते हैं।
असली माता-पिता को नियमित रूप से बच्चों के बारे में सूचित
किया जाता रहता हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस गिरोह ने कापसहेड़ा, मायापुरी और
दिल्ली के मोतीनगर में 5 व पंजाब और चंडीगढ़ में चोरी की तीन वारदातों को अंजाम
दिया है।
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